हजारों आवाजें एक साथ उठ रही थीं- अपना धर्म छोड़ दे। पर शेर अकम्प खड़ा था। माता की आँख में आंसू थे। उसने माँ के आंसू पोंछे। जल्लाद के आगे सर तान लिया, अगले ही पल वो पावन सर मातृभूमि की गोद में था। बालक मर चुका था पर धर्म जी उठा था।
सर्वं वै पूर्णं स्वाहा
हजारों आवाजें एक साथ उठ रही थीं- अपना धर्म छोड़ दे। पर शेर अकम्प खड़ा था। माता की आँख में आंसू थे। उसने माँ के आंसू पोंछे। जल्लाद के आगे सर तान लिया, अगले ही पल वो पावन सर मातृभूमि की गोद में था। बालक मर चुका था पर धर्म जी उठा था।