I saw this in dream. And my dream has a context!
Category Archives: Poem
बलिदान
हजारों आवाजें एक साथ उठ रही थीं- अपना धर्म छोड़ दे। पर शेर अकम्प खड़ा था। माता की आँख में आंसू थे। उसने माँ के आंसू पोंछे। जल्लाद के आगे सर तान लिया, अगले ही पल वो पावन सर मातृभूमि की गोद में था। बालक मर चुका था पर धर्म जी उठा था।